Monday, July 19, 2010

मुस्कराहट


मनचला मन जिधर चला उधर कोई न मिला,
जिसके चाहत थी वो कौन था ये पता न चला,
शायद मुझे सपने सजाने के आदत थी,
इसलिये हमेशा मुस्कुराते रहना अच्छा लगने लगा।

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