मोहब्बत के अफसाने तनहाइयों में गुनगुनाती हूँ,
तराने दिल के यूहि बना लेती हूँ,
तो क्या साथ देगे मेरा ये पल मोहब्बत वाले,
ये तो पता सिर्फ मेरे खुदा को है,
आँखे जब बंद कर लेते है हम,
पता नहीं क्यों मेरी नज़र उनके नज़रो से मिल जाते है,
कैसा है ये प्यार का एहसास,
क्या यही होता है प्यार,
मेरा दिल तनहाइयों में कुछ ऐसे सपने सजा लेता है,
जिसके आरजू शायद ही कभी पूरी हो सकती हो,
पर पता नहीं क्यों एक आस सी दिल में दिए के जैसे जल उठती है,
पर डर लगता है मुझे,
कहीं मेरे सपनो को कोई चुरा न ले,
लेकिन फिर चेहरे पर हलकी सी मुस्कराहट आ जाती है,
फिर से मैं चल पड़ती हूँ उसी रास्ते पर,
जहा से मेने अपना सफ़र सुरु किया था,
पर अब न पीछे मुड़कर नहीं देखना है,
न ही मुझे किसी के साथ की तालाश है,
यही है मेरे दिल की आवाज़.........................
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