Saturday, September 15, 2012

आख़े

 

 
 
 मेरी आखे  भी  बोलती है,
 
दिल का हर एक  इशारा,
 
 मुख की नहीं जरुरत,
 
वो कौन सा किनारा 
 
 
रोती है दुःख मै मेरे 
 
हँसती है फिर सुबह को 
 
 कहती है बात दिल की 
 
 यह जादू का एक पिटारा 
 
कहती है हाल दिल का 
 
या मन की बात करती 
 
आखों मैं है वो शक्ति 
 
जो हर रंग मैं है  चमकती 
 
दिखाती है आईना सच का 
 
जो इगित करता है मन को 
 
जो मन मैं कही है बसता 
 
ये एहसास मैं कितना प्यारा 
 
गम के सफ़र मैं मेरे 
   
 सपनो मैं रंग है भरती 
 
उमगे हमारे दिल की 
 
 इसमें ही है चमकती 

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