मेरी आखे भी बोलती है,
दिल का हर एक इशारा,
मुख की नहीं जरुरत,
वो कौन सा किनारा
रोती है दुःख मै मेरे
हँसती है फिर सुबह को
कहती है बात दिल की
यह जादू का एक पिटारा
कहती है हाल दिल का
या मन की बात करती
आखों मैं है वो शक्ति
जो हर रंग मैं है चमकती
दिखाती है आईना सच का
जो इगित करता है मन को
जो मन मैं कही है बसता
ये एहसास मैं कितना प्यारा
गम के सफ़र मैं मेरे
सपनो मैं रंग है भरती
उमगे हमारे दिल की
इसमें ही है चमकती