Saturday, July 24, 2010

बहारे दिल की आवाज़.....................


मोहब्बत के अफसाने तनहाइयों में गुनगुनाती हूँ,

तराने दिल के यूहि बना लेती हूँ,

तो क्या साथ देगे मेरा ये पल मोहब्बत वाले,

ये तो पता सिर्फ मेरे खुदा को है,

आँखे जब बंद कर लेते है हम,

पता नहीं क्यों मेरी नज़र उनके नज़रो से मिल जाते है,

कैसा है ये प्यार का एहसास,

क्या यही होता है प्यार,

मेरा दिल तनहाइयों में कुछ ऐसे सपने सजा लेता है,

जिसके आरजू शायद ही कभी पूरी हो सकती हो,

पर पता नहीं क्यों एक आस सी दिल में दिए के जैसे जल उठती है,

पर डर लगता है मुझे,

कहीं मेरे सपनो को कोई चुरा न ले,

लेकिन फिर चेहरे पर हलकी सी मुस्कराहट आ जाती है,

फिर से मैं चल पड़ती हूँ उसी रास्ते पर,

जहा से मेने अपना सफ़र सुरु किया था,

पर अब न पीछे मुड़कर नहीं देखना है,

न ही मुझे किसी के साथ की तालाश है,

यही है मेरे दिल की आवाज़.........................






Monday, July 19, 2010

बस एक पल और जी लेने दो.....................


ए मेरे खुदा मुझे एक पल और जी लेने दो,

करती हुँ इबादत तेरी, मुझे एक पल और जी लेने दो,

ऐतबार है न मुझे किसी का,

न किसी की है चाहत मुझे,

लेकिन बस एक ख्वाहिश है,मुझे एक पल और जी लेने दो,

क्यों मोहब्बत में मिटा लेता है इंसान खुद को,

लेकिन बाद में बन जाता है सपनो का सौदागर वो,

पर मेरे लिये क्या है इस दुनिया की खुशिया और गम का पहर,

बस एक है ख्वाहिश मुझे एक पल और जी लेने दे,

मुस्कुराकर दर्द इ दिल को छुपा लेता है इंसान क्यों

प्यार का अफसाना गुनगुना लेता है क्यों,

लेकिन मेरे एक ख्वाहिश है मुझे एक पल और जी लेने दे

बस एक पल और जी लेने दो

मुस्कराहट


मनचला मन जिधर चला उधर कोई न मिला,
जिसके चाहत थी वो कौन था ये पता न चला,
शायद मुझे सपने सजाने के आदत थी,
इसलिये हमेशा मुस्कुराते रहना अच्छा लगने लगा।

Thursday, July 15, 2010

मेरे सपनो का जहान


मेरा मन भटकता चला जा रहा था,
दुढ़ता फिर रहा था सपनो के जहान को,
जहा सुरमई सुबह के साथ होती थी सबकी शुरुआत,
पलक झपकते होती झिलमिल खुशियों की शरुआत,
आता याद मुझे अपने सपनो का जहान,
जहा के लोगो की ताकत थी उनकी मुस्कान,
सभी करते एक दुसरे से मोहबत का व्यवहार,
ऐसा हे मेरे सपनो का जहान,
किसइ होती है माँ की ममता,
इसकी झलक मिल जाती है यहाँ,
सीधे साधे भोले भले भाईचारे की ताकत को अपनाकर जीने वाले,
ऐसे है मेरे सपनो के मतवाले,
पर जब पड़ती है नज़र बुरी ताकतों वाली,
घिर जाते है काले बदरा मेरे सपने के जहान पर,
सहम जाता है मेरा दिल,
फिर याद आता है मुझे ज़िन्दगी का एक अफसाना,
सपनो की दुनिया होती है खिले फूलों की तरह,
जिसकी खुशबु से तो महकता है यह गुलशन सदा,
पर मुरझाये फूलों को कोई नहीं अपनाता ,
और रौंदा जाता है पैरों से ,
इसलिए कहते हैं, सपनों में जीने वाले ......
यह दुनिया नहीं होती खुशियों वाली ...
जो लगता है सच का दर्पण ..........
पलक झपकते वो आइना टूट जाता है.................