Thursday, May 30, 2013

उड़ चला तू इस कदर की अनजान राह तेरी मंजिल बनी,
होसला तेरा बुलंद इतना की वाकई तेरी चाहत मुस्कान बनी, 
एक नयी दास्ताँ तेरी पहचान तेरे सपनो का आईना बनी,
पंखो को फेला कर तूने उड़ना सीखा यही तेरी आवाज़ बनी,
उड़ चला तू इस कदर की अनजान राह तेरी मंजिल बनी।

हर उमीदों का एक पैमाना तेरी आँखों की चमक बनी,
तेरे जस्बात एक नयी कहानी की सची धड़कन बनी,
तू मुड़ा अगर तो तेरे मन में आजाद पंछी की छवि बनी,
उड़ चला तू इस कदर की अनजान राह तेरी मंजिल बनी।

तेरी मुलाकात हवा से इस कदर हुई,
तू उड़ता चला गया अपने सपनो को लेकर,
तू न कभी थका, न कभी हारा,
तरी अब अपने यही साथी यही मंजिल बने,
तूने जो चाहा, जो मागा ,
अपनी इस उड़ान से तूने पाया।

उड़ चला तू इस कदर की अनजान राह तेरी मंजिल बनी।

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